Dr Suresh K Pandey
Wednesday, January 15, 2025
Laurene Powell Jobs and IIT Baba: Finding Divinity at the Maha Kumbh
The sacred land of Prayagraj in India is hosting the grand Maha Kumbh, a divine confluence of faith, spirituality, and self-discovery. Millions have gathered at the holy Sangam, the meeting point of the Ganga, Yamuna, and the mystical Saraswati rivers, seeking peace and enlightenment. Among the pilgrims this year is an extraordinary name—Laurene Powell Jobs, wife of the legendary Steve Jobs. Given the spiritual name "Kamala" by her guru Swami Kailashanand Giri, Laurene is immersing herself in the profound depth of Sanatan culture, exploring the eternal truths of Indian spirituality. Her journey is a testament to the timeless wisdom of this land, which transcends boundaries of race, religion, and nationality to transform lives.
Steve Jobs was deeply inspired by India's spiritual heritage and dreamed of attending the Maha Kumbh. Though he couldn’t fulfill this wish, his curiosity led many, including Laurene, to embark on their spiritual quests. Laurene’s presence at this sacred gathering is a poignant reminder that no matter how much worldly success one achieves, the soul's yearning for peace and meaning remains eternal. Her journey is a bridge between the West's material aspirations and the East's spiritual wisdom.
Another awe-inspiring story of transformation unfolding at the Kumbh is that of Abhay Singh, popularly known as “IIT Baba.” A brilliant mind from Haryana's Jhajjar district, Abhay Singh was an aerospace engineering student at IIT Mumbai with a bright future in the corporate world. Yet, he chose a different path, renouncing worldly pleasures to become a monk of the Juna Akhara. His story is a powerful testament to the magnetic pull of spirituality, which can inspire anyone, anywhere, to seek the deeper purpose of life.
The Maha Kumbh is not just a congregation of sages and saints; it is a melting pot of humanity's deepest aspirations. From global leaders like Mark Zuckerberg, who found peace in an Indian ashram on Steve Jobs’ advice, to countless others who come here to reconnect with their inner selves, the Kumbh transcends barriers of status and geography. Each soul that visits the Kumbh carries a unique story of transformation, yet all are united by their search for truth and solace.
The Maha Kumbh is more than a religious festival. It is a living symbol of the soul’s ultimate quest—to connect with the infinite. In a world obsessed with material success, the Kumbh reminds us that the greatest journey is the one within. The rivers here do not just meet; they symbolize the confluence of humanity’s deepest desires to find peace, purpose, and eternal truth.
Whether you are a seeker, a traveler, or simply someone looking for meaning in life, the Maha Kumbh calls out to you. Come, be part of this divine confluence, and listen to the voice of your soul and your journey towards spirituality.
Dr. Suresh K. Pandey
Dr. Vidushi Sharma
SuVi Eye Hospital, Kota
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लॉरीन पॉवेल जॉब्स और आई.आई.टी. बाबा: आध्यात्मिकता के संगम पर
देव भूमि भारत के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में, गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर करोड़ों लोग आत्मिक शांति और आंतरिक खोज के लिए एकत्र हो रहे हैं। इस बार की महाकुंभ यात्रा में एक विशेष नाम जुड़ा है – स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरीन पॉवेल जॉब्स, जिन्हें उनके आध्यात्मिक गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरी ने ‘कमला’ नाम दिया है। लॉरीन इस पवित्र संगम में रहकर भारतीय संस्कृति के गहन ज्ञान और आध्यात्मिकता को आत्मसात कर रही हैं। यह यात्रा न केवल उनकी आंतरिक खोज है, बल्कि यह दिखाती है कि भारतीय अध्यात्मिकता का प्रभाव कितना गहरा और सार्वभौमिक है।
स्टीव जॉब्स, जो तकनीकी जगत के सबसे प्रभावशाली नामों में से एक थे, भारत की आध्यात्मिक परंपराओं से अत्यधिक प्रभावित थे। वे स्वयं महाकुंभ में आना चाहते थे, लेकिन यह सपना पूरा नहीं कर सके। उनकी इस अधूरी चाहत ने उनकी पत्नी लॉरीन और उनके जैसे कई अन्य लोगों को आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित किया। लॉरीन की यह यात्रा हमें याद दिलाती है कि भौतिक सफलता के शीर्ष पर पहुंचने के बाद भी, आत्मा की प्यास केवल आंतरिक शांति और आत्मज्ञान से बुझती है।
महाकुंभ में आने वालों में एक और प्रेरणादायक नाम है – "आई.आई.टी. बाबा" के नाम से प्रसिद्ध अभय सिंह। हरियाणा के झज्जर जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर आई.आई.टी. मुंबई में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का सपना पूरा करने वाले अभय सिंह ने अपनी चमकदार करियर संभावनाओं को छोड़कर साधु बनने का रास्ता चुना। उन्होंने जुना अखाड़ा के साधु बनने के लिए अपनी सांसारिक पहचान को त्याग दिया और अब वे जीवन के गहरे अर्थ की खोज में लगे हैं। उनकी यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि आध्यात्मिकता की पुकार किसी को भी, किसी भी समय, जीवन के असली उद्देश्य की ओर प्रेरित कर सकती है।
महाकुंभ का आकर्षण साधु-संतों तक सीमित नहीं है। यह वह जगह है, जहां जीवन के हर पहलू से जुड़े लोग – चाहे वह तकनीकी दिग्गज हों, वैश्विक नेता हों, या साधारण यात्री – सभी अपनी आत्मा के सवालों का जवाब खोजने आते हैं। स्टीव जॉब्स ने एक बार मार्क जुकरबर्ग को भारत के एक आश्रम में आत्मिक शांति खोजने की सलाह दी थी। इस सलाह ने जुकरबर्ग के जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ा। ऐसे ही अनगिनत कहानियां इस पवित्र संगम से जुड़ी हैं, जहां हर कोई अपनी आत्मा की आवाज सुनने आता है।
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह मानवता के गहरे सवालों का संगम है। यह हमें यह याद दिलाता है कि जीवन की सबसे बड़ी यात्रा अपने भीतर की खोज है। सफलता और धन के पीछे भागते हुए, हम अक्सर भूल जाते हैं कि सच्ची शांति, सच्चा सुख, और जीवन का असली उद्देश्य आत्मा से जुड़ने में है। महाकुंभ हमें यह समझाता है कि हमारी आत्मा का यह दिव्य संगम ही हमारा असली घर है।
आप साधारण हों, या किसी ऊंचे पद पर हों, ईश्वर ने हम सभी को अनन्त अवसर समान रूप से प्रदान किए हैं. महाकुंभ हमें अपने आप से मैं क्या हूँ? नामक प्रश्न पूछने एवं अपनी आध्यात्मिक यात्रा के प्रति गम्भीरता से सोचने हेतु प्रेरित कर रहा है। आइए, हम इस दिव्य संगम का हिस्सा बनें, और अपनी आत्मा की पुकार सुनें।
डॉ. सुरेश पाण्डेय
डॉ. विदुषी शर्मा
सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा
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Sunday, January 12, 2025
May the Sun's journey towards Uttarayan bring warmth to your dreams, success to your endeavors, and health & prosperity to your family.
Wishing each one of you a very Happy Lohri, Makar Sankranti, Pongal, and Bihu!
Dr. Vidushi & Dr. Suresh K Pandey
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लोहड़ी की लपटें, संक्रांति की मिठास, पोंगल की उमंग और बिहू का उल्लास –
हर पर्व आपके जीवन को बनाए खास।
उत्तरायण का सूर्य आपके सपनों को नई ऊष्मा प्रदान करे,
आपके यश एवं कीर्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हो। आप सपरिवार स्वस्थ रहें, सुखी रहें।
डॉ. विदुषी एवं डॉ. सुरेश पाण्डेय
सेवा और समर्पण की मिसाल—चिकित्सकों द्वारा देहदान ने चिकित्सा शिक्षा में लाई क्रांति
आधुनिक युग में देहदान मानवता और सेवा की अद्वितीय मिसाल है। भारत जैसे देश में, जहां चिकित्सा शिक्षा के लिए कैडेवर की भारी कमी है, देहदान चिकित्सा क्षेत्र और समाज के लिए अनमोल योगदान है।
डॉ. शमशेर सिंह भंडारी, राजस्थान के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ, ने अपने जीवन में अनगिनत नेत्रहीनों को दृष्टि प्रदान की और मरीजों की सेवा की। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उनका पार्थिव शरीर जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी को और नेत्र राजस्थान नेत्र बैंक को दान किए गए। प्रोफेसर (डॉ.) हरि वल्लभ नेमा ने भी अपने पार्थिव शरीर को चिकित्सा शिक्षा के लिए दान कर समाज में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
इसी तरह, डॉ. रामेश्वर प्रसाद शर्मा और कोटा की डॉ. शकुंतला भटनागर ने अपने शरीर का दान कर नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत प्रस्तुत किया। इन चिकित्सकों ने महर्षि दधीचि की परंपरा का अनुसरण करते हुए मानवता के प्रति निस्वार्थ भावना का प्रतीक पेश किया।
भारत में हर वर्ष लाखों मेडिकल विद्यार्थी कैडेवर की कमी से जूझते हैं। देहदान से न केवल इस कमी को पूरा किया जा सकता है, बल्कि यह समाज में सेवा और मानवता का संदेश भी देता है।
डॉ. शमशेर सिंह भंडारी, प्रोफेसर डॉ. हरि वल्लभ नेमा, डॉ. रामेश्वर प्रसाद शर्मा और डॉ. शकुंतला भटनागर का यह कदम हमें प्रेरित करता है कि जीवन और मृत्यु दोनों को मानवता की सेवा में लगाया जाए।
दैनिक भास्कर द्वारा इस प्रेरणास्पद आलेख के प्रकाशन हेतु हार्दिक धन्यवाद.
डॉ. सुरेश पाण्डेय
डॉ. विदुषी शर्मा
सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा
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Saturday, January 11, 2025
"गुरुओं के आशीर्वाद और वरिष्ठ डॉक्टरों के विश्वास की अनमोल कहानी"
मैं अपने आप को बेहद सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे 1986 में मेडिकल छात्र के रूप में अपनी यात्रा शुरू करने के बाद से अपने सीनियर्स और मेंटर्स का मार्गदर्शन मिला। जब मैंने NSCB मेडिकल कॉलेज, जबलपुर से MBBS शुरू किया, तो मुझे एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकैमिस्ट्री जैसे विषयों के बारे में कुछ भी समझ नहीं थी। लेकिन मेरे सीनियर्स ने मुझे संभाला, मेरा मार्गदर्शन किया, और मुझे सही रास्ता दिखाया।
वर्ष 1995 से 2005 के बीच जब मैंने PGIMER, चंडीगढ़ में नेत्र रोग में रेजिडेंसी की और विदेश में प्रशिक्षण लिया, तो मेरे सीनियर्स और मेंटर्स ने मुझे हर कदम पर नेत्र चिकित्सा का गहन ज्ञान हाथ पकड़कर सिखाया। उनके मार्गदर्शन और आशीर्वाद से ही आज मैं नेत्र रोग में कुछ हुनर सीख ने में सफल हो सका हूं।
यह मेरे लिए बेहद भावुक और विनम्र अनुभव होता है जब वरिष्ठ डॉक्टर और चिकित्सा पेशेवर मुझ पर अपने खुद के नेत्र ऑपरेशन, (विशेषकर कैटरेक्ट सर्जरी और प्रीमियम इन्ट्राऑकुलर लेंस इंप्लांटेशन) के लिए पूर्ण विश्वास करते हैं। ऐसे क्षण मुझे मेरे गुरुओं की शिक्षाओं और उनके दिए गए आत्मविश्वास की याद दिलाते हैं, जिन्होंने मुझे हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार किया।
हर केस यह सिखाता है कि आंखों की सूक्ष्म जांच, जिसमें रेटिना की जांच और सटीक ऑप्टिकल बायोमेट्री शामिल है, कितनी महत्वपूर्ण है। मरीजों को उनके ऑप्शन्स के बारे में सलाह देना और विज़ुअल रिजल्ट्स की स्पष्ट उम्मीदें सेट करना उतना ही ज़रूरी है, खासकर जब मरीज कोई डॉक्टर या उनका परिवार का सदस्य हो। उनके इस विश्वास को बनाए रखना और सर्वोत्तम देखभाल और परिणाम देना मेरी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है।
मैं अपने सभी चिकित्सक सीनियर्स और मेंटर्स का हृदय से आभारी हूं, जिनके विश्वास और शिक्षाओं ने मेरी इस यात्रा को संभव बनाया। यह मेरा सौभाग्य और सम्मान है कि मुझे ऐसे चिकित्सकों की सेवा करने का अवसर मिला, जिन्होंने समाज की इतनी सेवा की है। मैंने अपने इन अनमोल अनुभवों को अपनी पुस्तक "एक आई सर्जन की डायरी" नामक पुस्तक में भी साझा किया है.
सभी गुरुओं को उनकी शिक्षाओं के लिये बारम्बार प्रणाम. 🙏
डॉ. सुरेश पाण्डेय, सुवि आई हॉस्पिटल, कोटा
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Mentors' Blessings & the Trust of Senior Doctors for Their Own Eye Surgeries
I consider myself incredibly fortunate to have been guided by my mentors and senior doctors since the beginning of my medical journey in 1986. When I started pursuing MBBS at NSCB Medical College, Jabalpur, I was clueless about medical subjects like anatomy, physiology, and biochemistry. But my seniors stepped in, took me under their wings, and showed me the way forward.
Later, while pursuing my residency in ophthalmology at PGIMER, Chandigarh, and during my training abroad, my seniors and mentors taught me medical skills with patience, holding my hand every step of the way. Their guidance and blessings have been instrumental in shaping me into the ophthalmologist I am today.
It is truly humbling when respected senior doctors and medical professionals place their complete trust in me for their own eye surgeries, especially cataract surgery with premium intraocular lens implantation. Such moments are a testament to the invaluable teachings of my mentors, who instilled in me the precision, knowledge, and care needed for this craft.
Every such special case reminds me of the importance of meticulous eye examinations, including retinal checks and precise optical biometry. Counseling these patients about their options and setting clear expectations for visual outcomes are equally critical, especially when the patient is a fellow doctor or a member of their family. Their trust is sacred, and it compels me to pay utmost attention to every detail, ensuring that I deliver the best possible care and outcomes.
I feel deeply blessed and grateful to all my mentors and seniors, whose faith and teachings have guided me on this journey. It is a privilege and honor to serve those who have served so many. I have also shared this most valuable experience and humble journey in my book "Diary of An Eye Surgeon".
With heartfelt gratitude to all my teachers and mentors. 🙏
Dr. Suresh K. Pandey
SuVi Eye Hospital, Kota
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"हर FMG छात्र के लिए गाइड: कैसे पास करें NMC परीक्षा?" - Dr. Suresh K. ...
हर साल हजारों भारतीय छात्र अपने डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने के लिए जॉर्जिया, फिलीपींस, रूस, यूक्रेन, किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों का रुख करते हैं। वे एमबीबीएस की डिग्री तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन भारत लौटने के बाद असली चुनौती शुरू होती है। यहां प्रैक्टिस करने के लिए उन्हें नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) परीक्षा पास करनी होती है, जिसे केवल 20-25% छात्र ही पार कर पाते हैं। लेकिन यह चुनौती असंभव नहीं है। सही रणनीति, तैयारी और आत्मविश्वास से यह परीक्षा पास की जा सकती है।
सभी FMG छात्रों के लिए, NMC परीक्षा को पास करने के कुछ अनूठे और प्रभावी सुझाव यहाँ दिए गए हैं:
स्ट्रक्चर्ड लर्निंग प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करें:
Marrow और PrepLadder के माध्यम से तैयारी शुरू करें। FMG छात्रों के लिए बने विशेष ग्रुप्स से भी नोट्स और सामग्री प्राप्त कर सकते हैं।
मजबूत नींव बनाएं:
हैरिसन की मेडिसिन, ग्रे की एनाटॉमी, और सत्तार की पैथोलॉजी जैसी मानक किताबों को पढ़ें। ये किताबें NMC सिलेबस के अनुरूप हैं और गहन ज्ञान प्रदान करती हैं।
पिछले साल के प्रश्न पत्र:
पिछले 10 वर्षों के प्रश्न पत्रों का विश्लेषण करें। इससे बार-बार पूछे जाने वाले विषयों और प्रश्नों की प्रवृत्ति को समझने में मदद मिलती है।
मॉक टेस्ट और ग्रैंड टेस्ट:
नियमित रूप से मॉक टेस्ट दें, जो NMC परीक्षा के प्रारूप का अनुकरण करते हैं। MIST FMGE और eGurukul जैसे ऐप्स FMG छात्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी हैं।
समय प्रबंधन:
अपने सिलेबस को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटें और साप्ताहिक लक्ष्य निर्धारित करें। एक बार में एक विषय को कवर करने से गहराई से पढ़ाई होती है।
क्लिनिकल एप्लीकेशन पर ध्यान दें:
NMC परीक्षा में कई प्रश्न क्लिनिकल परिदृश्य आधारित होते हैं। ऑनलाइन मंचों पर भाग लें, केस चर्चा वीडियो देखें और क्लिनिकल केस को हल करने का अभ्यास करें।
ऑनलाइन समुदायों से जुड़ें:
फेसबुक, टेलीग्राम और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर FMG छात्रों के लिए विशेष समूह हैं, जहां छात्र नोट्स, मार्गदर्शन और प्रेरणा साझा करते हैं।
डेली MCQs और क्विक रिविजन करें:
प्रतिदिन 1-2 घंटे MCQs हल करें और पहले पढ़े हुए विषयों को दोहराएं। यह नियमितता दीर्घकालिक याददाश्त सुनिश्चित करती है।
सकारात्मक रहें:
NMC परीक्षा चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन सकारात्मक दृष्टिकोण इसे आसान बना सकता है। छोटे-छोटे लक्ष्यों को पूरा करें और निरंतर प्रगति पर ध्यान दें।
याद रखें, यह यात्रा कठिन हो सकती है, लेकिन हर कदम आपको अपने लक्ष्य के करीब लाता है। भारत को आप जैसे प्रतिभाशाली डॉक्टरों की जरूरत है।
उज्ज्वल भविष्य की हार्दिक शुभ कामनाएँ, आप सफल चिकित्सक बनकर देश के नागरिकों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाएं।
Every year, thousands of Indian medical students travel to countries like Georgia, the Philippines, Russia, Ukraine, Kyrgyzstan, and Uzbekistan to pursue their dream of becoming doctors. While they successfully earn their MBBS degrees, the real challenge begins when they return to India. To practice here, they must clear the National Medical Commission (NMC) exam—a hurdle that only 20-25% of foreign medical graduates (FMGs) manage to overcome. But this challenge is not insurmountable. With the right strategies, preparation, and mindset, success is achievable.
To all aspiring FMGs, here are some unique and impactful tips to help you clear the NMC exam:
Structured Learning Platforms: Specific platforms like Marrow and PrepLadder may be helpful for exploring their video content. Utilize offline downloads, and PDF notes, and join FMG-specific groups to share resources. Many senior FMGs often share curated content tailored for NMC exam preparation.
Build a Strong Foundation: Revise standard textbooks like Harrison’s for Medicine, Gray’s Anatomy, and Sattar’s Pathology—these books align with the NMC syllabus and provide in-depth knowledge. Focus on conceptual clarity, as the exam tests your ability to apply knowledge.
Previous Year Question Papers: Analyze at least the last 10 years of question papers to understand recurring patterns and important topics. This practice helps you align your studies with the exam’s requirements.
Mock Tests and Grand Tests: Regularly attempt mock tests that simulate the NMC exam format. Apps like MIST FMGE and eGurukul are excellent for FMG-specific mock tests. Track your progress and identify weak areas to focus your efforts effectively.
Time Management: Divide your syllabus into smaller, manageable parts. Set weekly goals and stick to a disciplined schedule. Covering one subject at a time ensures in-depth revision.
Clinical Application: Many NMC exam questions are clinical scenarios. Participate in online forums, watch case discussion videos, and practice solving clinical cases to improve your understanding of applied medicine.
Join Online Communities: Platforms like Facebook, Telegram, and WhatsApp have FMG-specific groups where students share notes, guidance, and motivational support. Engaging in such communities provides encouragement and shared resources.
Daily MCQs and Quick Revisions: Dedicate 1-2 hours daily to solving MCQs and revising previously studied topics. This consistency ensures long-term retention.
Stay Positive and Resilient: The NMC exam can be intimidating, but a positive mindset is half the battle. Celebrate small milestones and focus on steady progress.
Remember, the journey may seem tough, but every step forward brings you closer to your goal. India’s healthcare system needs talented doctors like you.
Let’s make your dream of serving the nation a reality.
Dr. Suresh K. Pandey
SuVi Eye Hospital Kota
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