Sunday, August 6, 2023
ओशो 12 दिन अमेरिका की जेल में थे .. ना कोई आधार ना वारंट ना सबूत .. कुछ नही। फिर भी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने उन्हें जेल भिजवा दिया..
और कहा कि हम आपको बिना सबूतों के भी अंदर रखेंगे ट्रायल के रूप में और कहेंगे कि आपने देश विदेश से अपने शिष्यों को बिना वीसा के अमेरिका लाकर अमेरिकी कानून का उल्लंघन किया है ..
आपको ये साबित करने में कि आप निर्दोष हो 10 साल लग जायेंगे और तब तक आपका कम्यून आपके बिना नष्ट हो जायेगा या हम उसे तबाह कर देंगे .. और फिर हम आपको बाइज्जत आपके मुल्क भारत भेज देंगे...
वह ऐसा इसलिए कर रहा था क्योंकि ओशो का कम्यून बहुत बडे़ भू-क्षेत्र में फैला हुआ था। उसमें खुद का airport, हॉस्पिटल, स्कूल, कॉलेज सब था और वहाँ कोई भी मुद्रा नहीं चलती थी .. निःशुल्क था सब। सभी राजनीति से हटकर अपना आनन्दपूर्ण जीवन जी रहे थे.. लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही थी ... जिससे रोनाल्ड रीगन डर गया...
ओशो के शिष्यों को जब यह पता चला तो उन्होंने फूल भेजे जेल में भी और राष्ट्रपति भवन में भी .. जिस जेल में ओशो बंद थे वहाँ के जेलर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि मैंने पहली बार देखा जब किसी असंवैधानिक गिरफ्तारी का विरोध बिना हिंसा या उग्र प्रदर्शन के हुआ हो ..
उसने लिखा है कि वो 12 दिन मेरी जेल चर्च में बदल गई थी। अमेरिका के कोने कोने से ढेरों फूल, गुलदस्ते, गमले आ रहे थे। जब भी ओशो जेल से कोर्ट जाते, लोग उन्हें फूल भेंट करते। पूरा न्यायालय परिसर फूलों से भर गया था। जज हैरान थे, पूरे पुलिस कर्मी हैरान थे।
तब जजों ने ओशो से कहा ... हम सभी असामान्य रूप से चकित हैं, हमने स्पेशल फोर्सेस बुलवा कर रखी थीं क्योंकि आपके शिष्य लाखों में हैं। प्रदर्शन उग्र हो सकता था। पर यहाँ तो सब उम्मीद के विपरीत हो रहा है। यह कैसा विरोध है?
तब ओशो ने कहा ... यही मेरी दी हुई शिक्षा है, वो जैसा प्रदर्शन करेंगे असल में वह मुझे, मेरे आचरण और मेरी शिक्षा को ही व्यक्त करेंगे!!
ओशो ने भारत में रहते हुए इंदिरा, नेहरू, हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई एवं अन्य सभी धर्मों में व्याप्त कुरीतियों का खुलेआम विरोध किया। पर ना तो नेहरू ने उन्हें जेल भेजा। ना इंदिरा ने, ना मोरारजी ने, ना चरण सिंह ने, ना अन्य किसी ने .....
क्योंकि सभी ये बात जानते थे कि ये आदमी इतना तर्कपूर्ण और अर्थपूर्ण है कि ये हमारे राजनैतिक शिकंजों में ना आ सकेगा ... ना हम इसका कभी विरोध कर सकेंगे क्योंकि हम आधारहीन हैं!
और अंततः CIA ने थैलियम नाम का धीमा ज़हर देकर उन्हें अत्यधिक दर्दनाक और यातनापूर्ण ढंग से मार दिया ... 1985 में दिया गये जहर से वे 5 सालों में 1990 में शरीर मुक्त हुए ..
क्योंकि जिसका तुम जवाब नहीं दे सकते, उसे मारना ही बेहतर लगता है। लेकिन शिष्यों ने तो फिर भी कोई विरोध नहीं किया। नाच गाकर, नृत्य में डूबकर ओशो को विदा किया ... कोई रोया नहीं। ना किसी ने किसी पर दोषारोपण किया। ना कोई विरोध, ना चक्काजाम, ना लोग मरे, ना शहर जलाए गए ..
एक गुरु को इससे अधिक क्या चाहिए..
शिष्य ही गुरु का प्रतिबिंब होते हैं ..
जैसा शिष्य करेंगे दरअसल वही
गुरु की दी हुई शिक्षा होगी!
#osho
#DrSureshKPandeyKota
#DrVidushiSharma
#SuViEyeHospitalLasikLaserCenterKota
#SuViEyeHospitalKota
#osho #oshoquotes #meditation #buddha #love #yoga #spirituality #oshomeditation #o #spiritualawakening #quotes #sadhguru #osholovers #oshointernational #mindfulness #spiritual #peace #awakening #motivation #oshoquote #oshobrasil #eckharttolle #thichnhathanh #life #buddhism #oshobooks #india #enlightenment
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment