Thursday, November 14, 2024
The recent, heartbreaking news of a radiologist taking his own life by overdosing on anesthetic drugs has once again brought the issue of suicide among medical professionals to the forefront. This incident forces us to reflect on the alarming rise of suicides among doctors. In first-world countries like the USA, approximately 400 doctors commit suicide every year. This figure is higher than any other professional group, revealing the immense mental health struggles that doctors face.
A doctor’s life is spent saving others, but the immense pressure, stress, and depression often prevent them from seeking help for themselves. Long working hours, heavy workloads, the burden of patient lives, and constant societal expectations can lead doctors to feel mentally exhausted and isolated. This overwhelming pressure sometimes leads to tragic outcomes, such as suicide.
To prevent these tragedies, several measures can be taken. First and foremost, mental health must be prioritized by providing counseling and therapy services within hospitals and medical institutions. Doctors who are struggling with suicidal thoughts should be encouraged to seek help, as asking for help is a sign of strength, not weakness. Additionally, efforts should be made to reduce the immense work pressure on doctors, including introducing shift work and ensuring a better work-life balance. Programs to boost morale and stress management are crucial in preventing burnout and suicide.
It is our collective responsibility to break the silence surrounding these issues and let our doctors know they are not alone. Their lives are invaluable, and we must offer the support they need.
Dr. Suresh K Pandey
Dr. Vidushi Sharma
SuVi Eye Hospital Kota
#StopSuicideInDoctors #MentalHealthMatters #DoctorsNeedSupport #BreakTheSilence #SaveLives #SupportOurDoctors #EndTheStigma
हाल ही में एक रेडियोलॉजिस्ट द्वारा एनेस्थेटिक दवाओं की अधिक खुराक लेकर आत्महत्या कर लेने की दुखद खबर ने एक बार फिर चिकित्सा पेशेवरों में आत्महत्या के बढ़ते मामलों को उजागर किया है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर क्यों चिकित्सा पेशेवरों में आत्महत्या की घटनाएं इतनी अधिक हैं। अमेरिका जैसे पहले विश्व के देशों में हर साल लगभग 400 डॉक्टर आत्महत्या कर लेते हैं। यह आंकड़ा किसी भी अन्य पेशेवर समूह से कहीं अधिक है, और यह दिखाता है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे चिकित्सा पेशेवरों के लिए कितने गंभीर हैं।
चिकित्सा पेशेवरों की ज़िंदगी दूसरों की जान बचाने में बीतती है, लेकिन इसके साथ जुड़े मानसिक दबाव, तनाव और अवसाद के कारण वे अपनी मदद नहीं कर पाते। लंबे कार्य घंटे, काम का अत्यधिक दबाव, मरीजों की जिंदगियों का बोझ और समाज से निरंतर उम्मीदें, इन सभी कारणों से डॉक्टरों को मानसिक रूप से थकावट और अकेलापन महसूस होता है। यह दबाव अक्सर आत्महत्या जैसी घटनाओं की ओर ले जाता है।
इन घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में काउंसलिंग और थेरेपी की सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए। आत्महत्या के विचारों से जूझ रहे डॉक्टरों को यह समझाना चाहिए कि मदद लेना कमजोरी नहीं, बल्कि साहस का प्रतीक है। इसके साथ ही, डॉक्टरों को काम के अत्यधिक दबाव से बचाने के लिए शिफ्टिंग और संतुलित कार्य जीवन के उपाय लागू किए जाने चाहिए। आत्महत्या की रोकथाम के लिए मनोबल बढ़ाने वाले कार्यक्रम और स्ट्रेस मैनेजमेंट की जरूरत है।
हम सभी का कर्तव्य है कि हम इस चुप्पी को तोड़ें और अपने डॉक्टरों को यह एहसास दिलाएं कि वे अकेले नहीं हैं। उनका जीवन बहुमूल्य है और हमें उनकी मदद करनी चाहिए।
डॉ. सुरेश पाण्डेय
सुवि नेत्र चिकित्सालय
कोटा
#StopSuicideInDoctors #MentalHealthMatters #DoctorsNeedSupport #BreakTheSilence #SaveLives #SupportOurDoctors #EndTheStigma
#DrSureshKPandeyKota
#SuViEyeHospitalKota
#DrVidushiSharma
#SuViEyeHospitalLasikLaserCenterKota
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment