Friday, November 1, 2024

संतोष का सच: के.बी.सी. से एक अति प्रेरणादायक कहानी "कौन बनेगा करोड़पति" देखना हमेशा एक आनंद देता है। यह ज्ञान और मनोरंजन का एक बेहतरीन संगम है, जो हम सभी दर्शकों की जानकारी को बढ़ाता है और जब भाग लेने वाले प्रतियोगियों के जवाब सही होते हैं, तो उन्हें अपार खुशी होती है। हाल ही में एक एपिसोड में, डॉ नीरज सक्सेना ने "फास्टेस्ट फिंगर" राउंड में सबसे तेज़ उत्तर देकर हॉट सीट पर जगह बनाई। लेकिन बाकी प्रतियोगियों की तरह उन्होंने न तो खुशी से चिल्लाया, न नाचे, और न ही अमिताभ बच्चन को गले लगाया। शांत और विनम्र होकर वे अपनी सीट पर बैठ गए। डॉ नीरज सक्सेना, जो कोलकाता में एक विश्वविद्यालय के कुलपति, वैज्ञानिक और पीएच.डी. हैं, सादगी और दयालुता के प्रतीक हैं। डॉ नीरज सक्सेना को डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के साथ काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जिसने उन्हें अपने से परे, देश और समाज के प्रति सोचने की प्रेरणा दी। डॉ. नीरज जी ने के बी सी खेल की शुरुआत की और केवल एक बार ऑडियंस पोल का सहारा लिया। बिना किसी मुश्किल के उन्होंने सवालों का जवाब दिया और ₹3,20,000 और बोनस राशि जीत ली। फिर जब ब्रेक के बाद खेल शुरू हुआ और अमिताभ जी ने अगले सवाल का स्वागत किया, तो नीरज जी ने कहा, "सर, मैं खेल छोड़ना चाहता हूँ।" अमिताभ जी ने हैरानी से पूछा कि इतनी अच्छी तरह खेलते हुए और तीन लाइफलाइन बची होने के बावजूद, आखिर वे क्यों छोड़ रहे हैं। डॉ नीरज जी ने बड़े आराम से जवाब दिया, "अन्य प्रतियोगी भी बैठे हैं, और वे मुझसे छोटे हैं। मैंने पहले ही काफी धन जीत लिया है। मुझे लगता है कि जो मेरे पास है, वह काफी है। मुझे और की चाहत नहीं है।" उनके इस जवाब ने सबको स्तब्ध कर दिया, और फिर तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा सेट गूंज उठा। एक ऐसा व्यक्तित्व, जिसने अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों को मौका देने के लिए संतोष से खेल छोड़ा—यह दृश्य दुर्लभ था। आज के दौर में, जब लोग सिर्फ दौलत के पीछे भागते हैं, एक पल के लिए भी रुक कर संतोष का अनुभव करना भूल जाते हैं, डॉ नीरज जी जैसे व्यक्ति हमें याद दिलाते हैं कि असली खुशी दूसरों को अवसर देने और स्वार्थ को छोड़ने में है। डॉ नीरज जी ने खेल छोड़ कर उस गरीब लड़की को मौका दिया, जिसने अपनी कठिनाइयों की कहानी साझा की और शायद इस मौके के बिना वह अपनी जिंदगी में यह बदलाव नहीं ला पाती। ईश्वर डॉ नीरज सक्सेना जैसे लोगों में वास करते हैं, जो दूसरों और देश के बारे में सोचते हैं। इस शानदार व्यक्तितत्व के बारे में लिखने का मौका पाकर हम खुद को भाग्यशाली महसूस करते हैं। यही सच्चा संतोष है, यही मानवता है। डॉ. सुरेश पाण्डेय डॉ. विदुषी शर्मा सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा #सच्चा_संतोष #KBC #जीवन_के_सबक #नीरजसक्सेना #प्रेरणा #सादगी #मानवता #संतोष "Where Satisfaction Lies: An Inspiring Story from KBC" Watching "Kaun Banega Crorepati" is a delight for me—a perfect mix of intelligence and entertainment that expands my knowledge and brings a sense of joy whenever I answer correctly. In a recent episode, Dr. Neeraj Saxena emerged as the fastest in the "Fastest Finger" round and took the hot seat. Unlike most contestants, he didn't celebrate with shouts, dancing, or hugs for Amitabh Bachchan. Calmly and humbly, he simply sat down. Dr. Neeraj Saxena, a scientist, Ph.D., and Vice-Chancellor in Kolkata, exudes simplicity and kindness. He shared that working with Dr. A.P.J. Abdul Kalam transformed him from thinking just of himself to embracing a sense of duty toward others and the nation. Dr. Neeraj’s game was brilliant. With only one audience poll used, he sailed through questions effortlessly, showcasing impressive intellect. Winning ₹3,20,000 and an equal bonus, he looked content. When the break ended, Amitabh welcomed him back, ready to continue with the next question. But to everyone’s surprise, Dr. Saxena calmly said, “Sir, I would like to quit.” Amitabh was taken aback. A contestant this poised and three lifelines still remaining—why would he quit now? Dr Neeraj replied, “Other contestants are waiting, and they are younger. I have already won a significant amount. I believe what I have is enough. I don’t need more.” His words left everyone stunned, followed by a wave of applause. It was a rare moment. In a world where many are driven by unending ambition and the relentless pursuit of money, Dr Neeraj reminded us of a simpler truth—that satisfaction, kindness, and selflessness are worth far more. By quitting, he allowed a young girl, with a heartbreaking story of resilience, to take his place. Without his selfless decision, she might not have had this life-changing opportunity. In today's society, where greed and self-interest often overpower empathy, Dr. Neeraj Saxena stands out. His quiet humility and generous heart left a mark on all present that day. This experience taught me that when our needs are met, we can find deeper happiness by stepping back and creating opportunities for others. May we all learn from this remarkable man. If we embrace contentment and selflessness, we create a better world, one act at a time. Dr. Suresh K. Pandey Dr. Vidushi Sharma SuVi Eye Hospital Kota #WhereToStopIsSatisfaction #LifeLessons #Inspiration #KBC #DrNeerajSaxena #Selflessness #Contentment #TrueHeroes #InspiringStories #DrSureshKPandeyKota #DrVidushiSharmaKota

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