Sunday, February 23, 2025
सुवि नेत्र चिकित्सालय में एग्जाईमर लेज़र सरफेस एबलेशन तकनीक से हटा चश्में का तिरछा नम्बर
कोटा। ग्राम लक्ष्मीपुरा, धाकड़ों का मोहल्ला, जिला बाराँ निवासी श्री सत्यपाल राठी उम्र 40 वर्ष को दाहिनी आँख में बबूल के काँटे से चोट लगने के कारण मोतियाबिन्द बन गया था। श्री सत्यपाल ने अपना दाहिनी आँख का मोतियाबिन्द ऑपरेशन एवं लैन्स प्रत्यारोपण कोटा के बाहर कराया था। कोर्निया (पारदर्शी पुतली) पर बबूल के काँटें से लगी चोट के कारण कोर्नियल स्कार बन गया था जिसके कारण मरीज को ऑपरेशन के बाद माइनस 1 नम्बर स्फेरिकल एवं माइनस 4 नम्बर चश्में का तिरछा (सिलेण्ड्रिकल) नम्बर आ गया था। तिरछे नम्बर एवं कोर्नियल स्कार के कारण श्री सत्यपाल राठी को दूर की रोशनी स्पष्ट देखने में असुविधा हो रही थी और उन्हें गाड़ी चलाने में भी बहुत कठिनाई हो रही थी।
श्री सत्यपाल राठी अपने शुभचिन्तकों की सलाह पर तलवण्डी स्थित सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेज़र सेन्टर, कोटा में अपनी नेत्र समस्या के समाधान के लिए पहुँचें जहाँ पर संस्थान के वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय ने मरीज श्री सत्यपाल की आँखों की पुनः विस्तार से जाँच की। दिनांक 20 फरवरी को सुवि नेत्र चिकित्सालय में मरीज श्री सत्यपाल राठी की दाहिनी आँख का एग्जाईमर लेज़र सरफेस एबलेशन सर्जरी नामक तकनीक से डॉ. सुरेश पाण्डेय, डॉ. निपुण बागरेचा एवं डॉ. अर्नव सरोया ने रोगी का तिरछा नम्बर से छुटकारा दिलाया। एग्जाईमर लेज़र सरफेस एबलेशन सर्जरी नामक सफल ऑपरेशन के बाद श्री सत्यपाल राठी की दूर की रोशनी पूरी तरह से लौट आयी है। उन्हें तिरछे नम्बर से छुटकारा मिल चुका है एवं वे अब सुगमता से गाड़ी चला सकते है।
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