Monday, October 14, 2024

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम: मिसाइल मैन जिन्होंने भारत को प्रज्ज्वलित किया और एक दृष्टिहीनता मुक्त राष्ट्र का सपना देखा स्टूडेंट डे 2024 के इस अवसर पर हम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन का स्मरण कर रहे हैं, जो न केवल भारत को विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले गए, बल्कि युवाओं और समाज की भलाई के लिए भी समर्पित रहे। इस वर्ष का थीम "शिक्षा और दृष्टि के माध्यम से युवाओं को सशक्त बनाना"—डॉ. कलाम के जीवन और कार्यों को समर्पित है, जो अगली पीढ़ी को एक उज्ज्वल और स्वस्थ भविष्य की ओर मार्गदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है। डॉ. अब्दुल कलाम का सफर, रामेश्वरम के एक छोटे से गाँव से भारत के “मिसाइल मैन” और देश के 11वें राष्ट्रपति बनने तक, अनगिनत लोगों के लिए प्रेरणा बना हुआ है। लेकिन उनके जीवन की सबसे अनोखी बात यह थी कि वे सिर्फ तकनीकी उन्नति के ही नहीं, बल्कि समाज में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की समानता के भी प्रबल समर्थक थे। उनका दृष्टिहीनता मुक्त भारत का सपना आज भी हमारे लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा है। असफलता से अद्वितीय सफलता तक 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में जन्मे अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम का सपना इंडियन एयरफोर्स में पायलट बनने का था, लेकिन उनका चयन सिर्फ एक अंक की कमी से नहीं हो सका। इस असफलता ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि नई दिशा में और मेहनत करने की प्रेरणा दी। वह ऋषिकेश पहुंचे और गंगा की शुद्धता, स्वामी शिवानंद की उपस्थिति और भगवद गीता के उपदेशों में शांति पाई। यहीं पर उन्होंने अपने जीवन को एक नई दिशा देने का निर्णय लिया, और यह भी नहीं जानते थे कि उनका भाग्य उन्हें भारत के सबसे सम्मानित व्यक्तियों में से एक बना देगा। मिसाइल मैन से जनता के राष्ट्रपति तक डॉ. कलाम ने डीआरडीओ और इसरो में चार दशक से अधिक समय तक सेवा की, और भारत को रक्षा और अंतरिक्ष तकनीक में एक मजबूत शक्ति बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी योगदानों में से एक महत्वपूर्ण कार्य भारत को एक परमाणु शक्ति बनाना था। 2002 में, वे भारत के 11वें राष्ट्रपति बने और अपनी सादगी और विनम्रता के कारण "जनता के राष्ट्रपति" के नाम से मशहूर हुए। दृष्टिहीनता उन्मूलन: एक मिशन जो उनके दिल के करीब था डॉ. कलाम सिर्फ विज्ञान और तकनीकी में अग्रणी नहीं थे, बल्कि समाज की भलाई के लिए भी समर्पित थे। उनका मानना था कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा हर नागरिक का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने एक दृष्टिहीनता मुक्त भारत का सपना देखा और इसके लिए वह अरविंद आई हॉस्पिटल (मदुरै) और एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट (हैदराबाद) जैसे प्रतिष्ठित नेत्र अस्पतालों में गए, जहां उन्होंने नेत्र चिकित्सकों को दृष्टिहीनता को समाप्त करने के लिए प्रेरित किया। उनका उद्देश्य था कि कोई भी व्यक्ति दृष्टिहीनता के कारण जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों से वंचित न रहे। सरलता, शिक्षा और राष्ट्रीय सेवा के प्रति समर्पण डॉ. कलाम सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते थे। वे प्रतिदिन कुरान और भगवद गीता का अध्ययन करते थे। राष्ट्रपति के रूप में, उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों की यात्रा के सभी खर्चों का व्यक्तिगत रूप से भुगतान किया और इफ्तार पार्टियों के बजट को अनाथालयों में दान कर दिया। डॉ. कलाम का युवाओं के प्रति प्रेम और शिक्षा के प्रति समर्पण आज भी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बना हुआ है। उन्होंने हमेशा छात्रों से मिलने का प्रयास किया और उन्हें देश के प्रति समर्पित नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया। उनकी इच्छा थी कि भारत 2020 तक विश्व की प्रमुख शक्तियों में शामिल हो जाए। उन्होंने अपना अंतिम समय भी छात्रों के बीच बिताया, जब 27 जुलाई 2015 को शिलॉन्ग में एक व्याख्यान देते समय उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। मेरी बेटी इशिता पांडे ने अपनी किताब "ड्रीम बिग, फ्लाई हाई: 55 जर्नीज़ टू इंस्पायर यंग माइंड्स" में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की प्रेरणादायक जीवन यात्रा को समर्पित एक पूरा अध्याय लिखा है। इशिता मानती हैं कि डॉ. कलाम की कहानी आज की पीढ़ी के लिए एक अनमोल उपहार है, जो हमें बड़े सपने देखने और उन्हें प्राप्त करने के लिए निरंतर मेहनत करने की सीख देती है। डॉ. सुरेश के. पाण्डेय, सुवि आई हॉस्पिटल, कोटा #एपीजेअब्दुलकलाम #मिसाइलमैन #प्रेरणा #स्टूडेंटडे2024 #युवासशक्तिकरण #ड्रीमबिगफ्लाईहाई #सपनेदेखोउड़ानभरो #दृष्टिहीनता_उन्मूलन #इशिता_पांडे #डॉसुरेशकेपाण्डेय #सुविआईहॉस्पिटल #नेत्रस्वास्थ्य #सपनोंकीउड़ान #नेत्ररोगप्रतिरोध #युवाओंकेप्रेरणास्त्रोत #अरविंदआईहॉस्पिटल #एलवीप्रसादआईइंस्टीट्यूट #DrSureshKPandeyKota #SuViEyeHospitalKota #DrVidushiSharma #SuViEyeHospitalLasikLaserCenterKota

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