Sunday, July 30, 2023

डेन्टल सर्जन के माध्यम से डाॅ. कैल्मेन ने किया मोतियाबिन्द की क्रांतिकारी तकनीक का आविष्कार इण्डियन डेन्टल एसोसिएशन द्वारा आयोजित कार्यशाला सम्पन्न कोटा। इण्डियन डेन्टल एसोसिएशन कोटा ब्रांच द्वारा दिनांक 29 जुलाई (शनिवार) को होटल आर्टस में ‘कन्टीन्यूईंग डेन्टल एज्यूकेशन’ (सी.डी.ई.) कार्यक्रम का आयोजित किया गया। इण्डियन डेन्टल एसोसिएशन कोटा ब्रांच के अध्यक्ष डाॅ. ममता होरा, सचिव डाॅ. गौरव सिंघवी ने बताया कि इस कार्यक्रम में डाॅ. सुरेश पाण्डेय (नेत्र सर्जन एवं निदेशक सुवि नेत्र चिकित्सालय कोटा) सेव द सेवियर्स, एवं इनोवेशन इन आॅफ्थेलमाॅलोजी एण्ड इट्स रिलेवेंस टू डेन्ट्रिस्ट्री नामक विषय पर व्याख्यान दिया। नेत्र सर्जन डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने नेत्र चिकित्सा विज्ञान में हुए नवीनतम आविष्कारों की जानकारी देते हुए बताया कि मोतियाबिन्द एवं अन्य नेत्र आपरेशन का विवरण आचार्य सुश्रुत द्वारा वर्णित है। नवीनतम मोतियाबिन्द आपरेशन की तीन मिमी. के सूक्ष्म चीरे द्वारा की जाने वाली अल्ट्रासोनिक फेकोइमल्सिफिकेशन पद्धति का आविष्कार अमेरिकन नेत्र सर्जन डाॅ. चाॅल्र्स कैल्मेन ने सन् 1963 में किया था। यह विचार उन्हें डेन्टल सर्जन डाॅ. लेरी कुहन से मिला था जब डाॅ. कैल्मेन अपने दाँतों की सफाई के लिए डाॅ. कुहन के पास पहुँचे थे। कृत्रिम लैंस का प्रथम प्रत्यारोपण ब्रिटिश नेत्र सर्जन डाॅ. हेराॅल्ड रिडली 9 फरवरी 1950 में लंदन के सेन्टर थाॅमस आई हाॅस्पिटल में प्रत्यारोपित किया था। डाॅ. पाण्डेय ने बताया कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दिनांक 15 अगस्त 1940 को राॅयल एयरफोर्स, इंग्लैण्ड के लडाकू विमान हाॅकर हेरिकेन-2, के घायल पायलेट (फ्लाईंग आफिसर) गाॅर्डन क्लीवर की आॅखों का उपचार करते समय सेंट थॉमस अस्पताल इंग्लेण्ड के नेत्र चिकित्सक डाॅ (सर) हेरोल्ड रिडले ने गौर किया कि हाॅकर हेरिकेन-2 विमान के छत से ऐक्रेलिक प्लास्टिक के टुकडे की गाॅर्डन क्लीवर की आंख के अन्दर पाये गये और आंखों में किसी तरह का रिएक्शन नहीं पाया गया। डाॅ (सर) हेरोल्ड रिडले द्वारा किये गये इस महत्वपूर्ण निरीक्षण (आब्जरवेशन) मोतियाबिंद पीड़ितों की दृष्टि को ठीक करने के लिए आंखों में कृत्रिम लेंस के उपयोग के विचार को जन्म दिया। मोतियाबिन्द आपरेशन एवं कृत्रिम लैन्स प्रत्यारोपण विश्वभर में एक करोड़ रोगियों को प्रतिवर्ष किया जाता है और यह विश्वभर में सबसे अधिक संख्या में किया जाना वाला सफलतम नेत्र आपरेशन है। डाॅ. पाण्डेय ने जनमानस के बीच प्रचलित भ्रांतियां का समाधान करते हुए बताया कि दाँतों का उपचार, (रूट कैनाल ट्रीटमेन्ट एवं टूथ एक्सटेªक्शन) के बाद आँखों की रोशनी प्रभावित नहीं होती है। उन्होंने बताया कि मोतियाबिन्द का फेको पद्धति से आपरेशन किसी भी मौसम में करवाया जा सकता है। डाॅ. पाण्डेय ने विशेषज्ञों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का भी उत्तर दिया। आई.डी. कोटा ब्रांच के अध्यक्ष डाॅ. ममता होरा, सचिव डाॅ. गौरव सिंघवी एवं पूर्व अध्यक्ष डाॅ. अजय गुप्ता ने नेत्र सर्जन डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इण्डियन डेन्टल एसोसिएशन कोटा शाखा के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. अजय गुप्ता ने बताया कि इस सी.डी.ई. कार्यक्रम में कोटा शाखा के 40 दंत चिकित्सक सदस्यों ने भाग लिया। उन्होंनें चिकित्सकों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर भी दिया। #DainikBhaskarNewspaperKota #RajasthanPatrikaNewspaper31July2023 #DrSureshKPandeyKota #DrVidushiSharma #SuViEyeHospitalLasikLaserCenterKota #SuViEyeHospitalKota

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