Friday, March 14, 2025

आज के दौर में डिजिटल डिवाइसेस हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं, खासकर किशोरों के लिए। सोशल मीडिया, वीडियो गेम्स और ऑनलाइन कंटेंट तक हर वक्त पहुंच ने उनकी दिनचर्या को पूरी तरह बदल दिया है। हालांकि, इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर उनकी नींद पर पड़ रहा है। देर रात तक मोबाइल स्क्रीन से चिपके रहने से न केवल उनकी नींद की अवधि कम होती जा रही है, बल्कि उनकी नींद की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। कई बार किशोर देर रात तक चैटिंग, स्ट्रीमिंग या गेमिंग में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें वक्त का पता ही नहीं चलता। जब सोने का समय आता है, तो दिमाग पूरी तरह सक्रिय रहता है और नींद आना मुश्किल हो जाता है। स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन नामक हार्मोन के उत्पादन को प्रभावित करती है, जिससे शरीर को यह संकेत नहीं मिलता कि उसे अब आराम करने की जरूरत है। इसका नतीजा यह होता है कि किशोर न केवल देर से सोते हैं, बल्कि गहरी और आरामदायक नींद भी नहीं ले पाते। अच्छी नींद न मिलने का असर सिर्फ थकान तक सीमित नहीं रहता। यह उनके मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। नींद की कमी से एकाग्रता में कमी आती है, जिससे पढ़ाई और दैनिक कार्यों में कठिनाई होती है। इससे याद्दाश्त कमजोर हो सकती है और निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। लगातार नींद की कमी से चिड़चिड़ापन, तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं। सिर्फ मानसिक ही नहीं, शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। कम सोने से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और मोटापे जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। इस डिजिटल युग में अच्छी नींद सुनिश्चित करने के लिए कुछ आसान उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है कि एक नियमित नींद का समय निर्धारित किया जाए। हर दिन एक निश्चित समय पर सोने और जागने की आदत डालने से शरीर की जैविक घड़ी संतुलित रहती है। सोने से पहले एक आरामदायक माहौल बनाना भी जरूरी है। किताब पढ़ना, हल्का संगीत सुनना या मेडिटेशन करना मन को शांत कर सकता है और नींद को बेहतर बना सकता है। सोने से कम से कम एक घंटा पहले मोबाइल, लैपटॉप या टीवी का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए, ताकि ब्लू लाइट का प्रभाव कम हो सके। सोने के लिए बेडरूम का वातावरण भी सही होना चाहिए। कमरे में ज्यादा रोशनी न हो, शोरगुल कम हो और तापमान आरामदायक हो। नियमित व्यायाम भी अच्छी नींद के लिए मददगार साबित होता है, लेकिन सोने से ठीक पहले ज्यादा कसरत करने से बचना चाहिए। कैफीन युक्त चीजों का सेवन शाम के समय कम कर देना चाहिए क्योंकि यह नींद को बाधित कर सकती हैं। संतुलित आहार लेने से भी नींद की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है। सबसे जरूरी बात यह है कि किशोरों को नींद के महत्व को समझाया जाए। अगर उन्हें यह एहसास होगा कि पर्याप्त और अच्छी नींद उनकी पढ़ाई, मूड और स्वास्थ्य के लिए कितनी फायदेमंद है, तो वे खुद इसे प्राथमिकता देने लगेंगे। माता-पिता को भी अपने बच्चों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए और खुद भी अच्छी नींद की आदतों का पालन करना चाहिए। स्मार्टफोन और अन्य डिजिटल उपकरणों का सीमित और संतुलित उपयोग करना जरूरी है ताकि किशोर अपनी नींद और सेहत के साथ समझौता न करें। इस विश्व नींद दिवस, आइए हम सभी यह संकल्प लें कि हम अपनी और अपने बच्चों की नींद को प्राथमिकता देंगे, क्योंकि अच्छी नींद बेहतर जीवन की कुंजी है। #WorldSleepDay #BetterSleepBetterLife #HealthyHabits #TeenSleep #DigitalDetox #MentalHealth #SleepMatters #DrSureshKPandeyKota #SuViEyeHospitalKota #SuViEyeHospitalLasikLaserCenterKota

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