Saturday, September 16, 2023

Cataract Surgery & Foldable IOL Implantation Live from SuVi Eye Hospital...

Corneal Collagen Cross-linking for Keratoconus at SuVi Eye Hospital Kota जानिए किरेटोकोनस क्या है? किरेटोकोनस पीड़ित व्यक्तियों में चश्में का तिरछा नम्बर धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है एवं रोगियों को चश्मा लगाने के बाद भी स्पष्ट नहीं दिखाई देता है। किरेटोकोनस क्या है? किरेटोकोनस आँख की पारदर्शी पुतली (कॉर्निया) में होने वाली विशेष प्रकार की बीमारी है, जिसमें कॉर्निया का आकार में उभार (कॉनिकल शेप) आ जाता है। सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा की नेत्र सर्जन डॉ. विदुषी पाण्डेय के अनुसार किरेटोकोनस रोग सामान्यतः 14 वर्ष की आयु से लेकर 22 वर्ष की आयु वाले व्यक्तियों को हो सकता है। किरेटोकोनस रोग 3000 में से 1 व्यक्ति को हो सकता है। किरेटोकोनस किन को हो सकता है? इस रोग का ठोस कारण अज्ञात है। डॉ.सुरेश पाण्डेय के अनुसार नेत्र एलर्जी से पीड़ित आँखों को मसलने वाले व्यक्ति, डाउन सिन्ड्रोम से पीड़ित व्यक्ति एवं वंशानुगत किरेटोकोनस से पीड़ित व्यक्तियों की संतानों को यह रोग हो सकता है एवं आंखों को मसलने से बढ़ सकता है किरेटोकोनस। किरेटोकोनस लगभग 90 प्रतिशत व्यक्तियों की दोनों आँखों को प्रभावित करता है एवं यह पुरूष एव महिलाओं को समान रूप से प्रभावित करता है। किरेटोकोनस से पीड़ित रोगियो में नेत्र एलर्जी होने की सम्भावना अधिक होती है। इन रोगियों को यथा सम्भव आँखों को रगड़ने (मसलने) से बचना चाहिए तथा साथ ही साथ स्टेराईड आई ड्राप्स का लम्बे समय तक प्रयोग चिकित्सक की देखरेख के बिना नहीं करना चाहिए। किरेटोकोनस के लक्षण क्या होते है? किरेटोकोनस से पीड़ित व्यक्तियों को अस्पष्ट दिखाई देता है। इन रोगियों की प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है एवं पढ़ने-लिखने हेतु आँखों पर बहुत जोर डालना पड़ता है। कभी-कभी किरेटोकोनस से पीड़ित व्यक्तियों को तिरछा एवं दो या अधिक प्रतिबिम्ब भी दिखाई दे सकते है। किरेटोकोनस से पीड़ित व्यक्तियों में चश्में का तिरछा नम्बर धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है एवं रोगियों को चश्मा लगाने के बाद भी स्पष्ट नहीं दिखाई देता है, जिसके कारण किरेटोकोनस से पीड़ित व्यक्ति को पढ़ने-लिखने, रोजमर्रा का कार्य करने एवं वाहन चलाने में बहुत परेशानी होने लगती है। किरेटोकोनस का उपचार क्या है? किरेटोकोनस से पीड़ित व्यक्तियों में किसी भी उपचार द्वारा बीमारी की सम्पूर्ण रोकथाम कर 100 प्रतिशत दृष्टि लौटाना पाना सम्भव नहीं है। इन रोगियों का आर. जी. पी. कॉन्टेक्ट लैंस, कॉर्नियल कॉलिज़न क्रॉस लिकिंग विद राइबोफ्लेविन (सी-3 आर), इम्पलान्टेबल टोरिक कॉन्टेक्ट लैंस (आई.सी.एल.), इन्ट्रास्ट्रोमल कॉर्नियल रिंग सेग्मेन्ट (केरा रिंग्स), पेनेट्रेटिंग किरेटोप्लास्टी, टोरिक इन्ट्राऑकुलर लैंस प्रत्यारोपण, नामक नवीनतम तकनीकों द्वारा उपचार किया जाता है। किरेटोकोनस से पीड़ित रोगीयों को कौनसी सावधानी रखनी चाहिए? किरेटोकोनस से पीड़ित रोगियों को आंखों को आई रबिंग नहीं करना चाहिए। क्योकि आंखों को निरंतर लम्बे समय तक मसलने से किरेटोकोनस रोग बढ़ सकता है । हर वर्ष में दो बार नेत्र विशेषज्ञ से आंखों की जांच करवाएं। #DrSureshKPandeyKota #DrVidushiSharmaKota #SuViEyeHospitalKota #SuViEyeHospitalLasikLaserCenterKota #keratoconus #ophthalmology #vision #cornea #cataract #lasik #eyedoctor #optometrist #astigmatism #keratokonus #ophthalmologist #eyes #glaucoma #cataractsurgery #eyesurgeon #oftalmoloq #oftalmologia #optometry #eye #retina #doctor #g #laser #eyecare #eyesurgery #discovericl #oklahomacity #njoyvision #oklahoma #okc

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