Saturday, November 11, 2023

ईको फ्रेन्डली दीवाली मनायें पर्यावरण बचाऐं, डॉ. सुरेश पाण्डेय Wishing ...

*ईको फ्रेन्डली दीवाली मनायें, पर्यावरण बचाऐं* ज्योति पर्व दीपावली पर पटाखें चलाते समय सावधानी बरतें चन्द सैकण्डों की लापरवाही कहीं जिंदगी भर के अंधकार में न बदल जायें नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय एवं डॉ. विदुषी पाण्डेय सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेजर सेन्टर, कोटा जगमग ज्योति एवं उल्लास के प्रतीक दीपावली के अवसर पर आतिशबाजी पटाखों से लगने वाली चोट के कारण अनेकों व्यक्ति (विशेषकर बच्चे) अपनी आँखों की ज्योति हमेशा के लिए खो बैठते है। कुछ लोगों को तो पटाखें के कारण एक या दोनों आँखों में गंभीर चोट लगने के कारण उनका जीवन सदा के लिए अंधकारमय हो जाता है। इससे भी खेद की बात यह कि पटाखे से चोटिल अधिकांश 15 साल की उम्र से कम के बच्चे होते हैं। छोटे बच्चें अक्सर अपने आस-पास की आतिशबाजी को देखने अथवा अधजले पटाखों को दोबारा जलाने का प्रयास करते समय में ही गंभीर रूप से चोटिल हो सकते है। अधिकांश बच्चों के माता-पिता, परिजन बच्चों को आतिशबाजी चलाते समय निरीक्षण नहीं कर पाते हैं, जिससे आँख एवं चेहरे पर गंभीर चोट लगने का खतरा और बढ़ जाता है। सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेजर सेन्टर कोटा के नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय एवं डॉ. विदुषी पाण्डेय ने बताया कि पटाखे से आँखों में कई तरह की चोट लग सकती है, जैसे कि कॉर्निया या पारदर्शी पुतली पर जख्म बनना, आँखों में खून उतर आना, पलकों का जल जाना या पलकों एवं कॉर्निया पर पटाखों की राख चिपक जाना। इसके अतिरिक्त अत्यंत गंभीर चोट भी लग सकती है, जैसे पुतली में कट लगना, मोतियाबिन्द बनना, प्राकृतिक लेंस का विस्थापन होना या आँख के पर्दे (रेटिना) का फट जाना या आँख में इंफेक्शन हो जाना। केस नं.1ः पटाखे से गयी दांहिनी आँख की रोशनी दिनांक 09 नवम्बर 2023 को नंदु बाई गुर्जर आयु 55 वर्ष पत्नी हीरालाल गुर्जर, गांव गिलोता, रावतभाटा की दांहिनी आँख में अचानक मुर्गाछाप पटाखा चल जाने के कारण गंभीर चोंट लगी। नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय ने बताया की पटाखे से गंभीर चोट लगने के कारण दाहिनी आँख की पुतली क्षतिग्रस्त हो गई, दांहिनी आँख का प्राकृतिक लेंस अपने स्थान से विस्थापित हो गया एवं पर्दे पर रक्त स्त्राव होने के कारण दाहिनी आँख से दिखाई देना बंद हो गया। सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा में अभी उनका उपचार जारी है। कुछ दिनों बाद उनकी आंख में विस्थापित हुए लेंस को ऑपरेशन कर निकाला जाएगा, आँख के रक्त स्त्राव को ऑपरेशन से हटाया जाएगा एवं कृत्रिम लेंस का प्रत्यारोपण किया जाएगा। सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेजर सेन्टर कोटा के नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय एवं डॉ. विदुषी पाण्डेय ने बताया कि पटाखे चलाते समय निम्न सावधानियों का विशेष ध्यान रखें- 1. बोतल या मटके में रख कर पटाखे या रॉकेट न चलायें। बोतल या मटका फूट जाने पर पटाखा व काँच दोनों ही नुकसान करते हैं व गहरी चोट लगाते हैं। 2. पटाखा न चले तो उसे पास न जाकर छुएं और न हीं नही पास जाकर देखें अथवा दोबारा जलाने का प्रयास करें । अचानक पटाखा के फट जाने से पास खड़े व्यक्तियों को अचानक चोट लग सकती हैै। 3. भीड़भाड़ वाले स्थानों पर पटाखे न चलायें। हाथ में पकड़कर पटाखा न चलायें। 4. सड़क पर पटाखे, खास तौर से यातायात के बीच पटाखे न चलायंे। इससे अनायास ही कोई राह चलता व्यक्ति पटाखे की चपेट में आ जाता है। सुरक्षित दीवाली मनाने के लिए निम्न बातों को हमेशा ध्यान रखें- 1. पटाखे किसी सुरक्षित एवं खुले स्थान पर चलाये। कुछ परिवार मिलकर एक खुली जगह चुनें व बच्चों को दूर रखें। 2. पटाखा एक बार में न चलें, तो दोबारा नहीं जलाएँ। 3. पटाखे जलाते समय माता-पिता बच्चों पर विशेष निगरानी रखें। पटाखे जलाते समय आँखों की सुरक्षा के लिए सेफ्टी ग्लास का उपयोग करें। 4. सूती कपड़े पहने, ढीले कपड़ों से बचें व लटकते हुए स्कार्फ, दुपट्टे आदि पहन कर पटाखे न चलाएँं। 5. पटाखे एक-एक कर चलाएँ और जो न चलें उन्हें अंत में पानी की बाल्टी में डाल दें। एक-दो बाल्टी पानी हमेशा पास रखें। 6. आँख में पटाखों की चोट लगने पर तुरन्त नेत्र चिकित्सक से सम्पर्क करें। 7. ईको फ्रेन्डली दीपावली मनायें। आतिशबाजी से संबंधित चोटों को रोकने एवं उसके खतरों को कम करने के लिए कई देशों में पिछले दो दशकों के दौरान कानून तैयार किये गये है। वर्ष 1994 में राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिक चोट निगरानी प्रणाली अनुसार रॉकेट पर प्रतिबन्ध लगाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही 5 वर्ष के कम उम्र के बच्चों द्वारा पटाखे के उपयोग में प्रतिबन्ध की सिफारिश की है। इसी तरह अन्य देशों में भी इस तरह के प्रतिबन्घ कानून लागू किये गये है। भारत सरकार द्वारा नॉईज पॉलिशयून कन्ट्रोल एवं रेग्यूलशन रूल्स 1999 के अनुसार रात्रि 10 बजे के बाद पटाखे चलाकर ध्वनि प्रदूषण करने पर सख्त मनाही है। परन्तु इस नियम की अवहेलना अनेकों देखी जा सकती हेै। ईको फ्रेन्डली दीवाली मनायें, एवं पर्यावरण बचाऐं। नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय एवं डॉ. विदुषी पाण्डेय सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेजर सेन्टर, कोटा #HappyDiwali #SafeDiwali #DrSureshKPandeyKota #DrVidushiSharmaKota #SuViEyeHospitalKota

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