Thursday, January 2, 2025
सावित्रीबाई फुले की जयंती के शुभ अवसर पर, हम भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारिका को नमन करते हैं। वर्ष 1831 में जन्मी सावित्रीबाई ने समाज की कठिनाइयों का सामना करते हुए महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर 1848 में भारत का पहला बालिका विद्यालय खोला, जो उनके साहस और दूरदृष्टि का प्रतीक है।
सावित्रीबाई ने जातिगत भेदभाव और लैंगिक असमानता के खिलाफ लड़ाई लड़ी और समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। तमाम सामाजिक विरोध के बावजूद, उन्होंने अपना कार्य जारी रखा। उनकी शिक्षाएं और प्रयास हमें आज भी समानता, शिक्षा और सामाजिक न्याय के लिए प्रेरित करते हैं। आइए, उनके सपनों के समतामूलक समाज के निर्माण की दिशा में हम भी अपना योगदान दें।
On this special occasion of the birth anniversary of Savitribai Phule, we honor the legacy of one of India's first female educators and social reformers. Born in 1831, Savitribai Phule broke barriers and paved the way for women's education and empowerment during a time when the idea of educating girls was met with strong resistance. Alongside her husband, Jyotirao Phule, she opened the first school for girls in India in 1848, setting an example of courage and vision.
Her relentless fight against caste discrimination and gender inequality remains a beacon of hope and inspiration. Despite facing societal backlash, she stood resilient, dedicating her life to uplifting the marginalized. Savitribai’s teachings and efforts continue to inspire millions to champion the causes of equality, education, and social justice. Let us pledge to carry forward her mission of creating an inclusive and enlightened society.
Dr. Suresh K. Pandey
Dr. Vidushi Sharma
SuVi Eye Hospital, Kota
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