Monday, January 20, 2025

झालावाड़ जिले के भवानी मंडी नगर में 20 जनवरी 2025 को एक ऐतिहासिक दिन के रूप में याद किया जाएगा। इस दिन 2 लाख 60 हजार 357 विद्यार्थियों ने नशे और स्मार्टफोन की लत से मुक्ति पाने के लिए सामूहिक संकल्प लिया। इस पहल को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है, जो न केवल जिले के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक घटना है। यह पहल समाज में एक बड़ा बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बच्चों और युवाओं को नशे और स्मार्टफोन की लत से बचाने के लिए प्रेरित करेगी। नशे की लत का बच्चों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। "द अमेरिकन जर्नल ऑफ एडिक्शन" में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, अमेरिका में लगभग 2 मिलियन बच्चे नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। भारत में भी यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। नेशनल सर्वे ऑन एक्सटेंट एंड पैटर्न ऑफ सब्सटेंस यूज इन इंडिया (2019) के अनुसार, लगभग 7.3% भारतीय किशोर नशे की लत के शिकार हैं। यह न केवल उनकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि उनके शिक्षा और भविष्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। नशे की लत से बच्चों की मानसिक और शारीरिक विकास प्रक्रिया बाधित होती है। "द जर्नल ऑफ चाइल्ड एंड एडोलसेंट सब्सटेंस एब्यूज" में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, नशे की लत से बच्चों में स्मरणशक्ति, आत्म-नियंत्रण, और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होती है। इसके अलावा, नशे की लत से बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे चिंता, अवसाद, और आक्रामकता बढ़ती हैं। यह समस्याएं उनके व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में भी गंभीर चुनौतियां उत्पन्न करती हैं। स्मार्टफोन की लत भी बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। "जर्नल ऑफ बिहेवियरल एडिक्शन" में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर में 10 से 19 वर्ष के लगभग 23% किशोर स्मार्टफोन की लत से पीड़ित हैं। भारत में भी स्थिति गंभीर है, जहां लगभग 70% स्कूली बच्चे स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं। इस लत के कारण बच्चों में शारीरिक समस्याएं जैसे नींद की कमी, थकावट, और आंखों की समस्याएं बढ़ रही हैं। डिजिटल युग में बच्चों की आंखों की देखभाल पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। "जर्नल ऑफ ऑप्थाल्मोलॉजी" में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग से बच्चों में मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) की दर तेजी से बढ़ रही है। यह समस्या इतनी गंभीर है कि 2050 तक दुनिया की आधी आबादी मायोपिया से प्रभावित हो सकती है। स्मार्टफोन की लत से बच्चों में न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और सामाजिक समस्याएं भी बढ़ रही हैं। "साइबर साइकोलॉजी, बिहेवियर, एंड सोशल नेटवर्किंग" में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि स्मार्टफोन की लत से बच्चों में आत्मविश्वास की कमी, सामाजिक कौशल का ह्रास और अकेलापन बढ़ता है। इसके अलावा, लंबे समय तक स्मार्टफोन के उपयोग से बच्चों में डिजिटल आई स्ट्रेन और ड्राई आई सिंड्रोम जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। डिजिटल आई स्ट्रेन से बच्चों की आंखें जल्दी थक जाती हैं, जिससे सिरदर्द, धुंधला दृष्टि, और आंखों में जलन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। "इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थाल्मोलॉजी" में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 22% स्कूली बच्चे डिजिटल आई स्ट्रेन से पीड़ित हैं। यह समस्या न केवल उनकी दृष्टि को प्रभावित करती है, बल्कि उनकी शैक्षणिक प्रदर्शन और जीवन की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। भवानी मंडी में बच्चों द्वारा लिया गया यह संकल्प एक महत्वपूर्ण कदम है जो नशे और स्मार्टफोन की लत से मुक्ति की दिशा में एक नई शुरुआत है। यह पहल न केवल बच्चों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है। यह समय है कि हम सभी मिलकर नशे और स्मार्टफोन की लत से उत्पन्न खतरों को समझें और बच्चों को एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य प्रदान करें। डॉ. सुरेश पाण्डेय, डॉ. विदुषी शर्मा सुवि आई हॉस्पिटल, कोटा. #नशेसेमुक्तिभियान #स्मार्टफोनलत #DrSureshKPandey #DrVidushiSharma #SuViEyeHospitalKota #झालावाड़_पहल #भवानीमंडी #डिजिटलडिटॉक्स #मायोपिया #ड्राईआई #डिजिटलआईस्ट्रेन #मानसिकस्वास्थ्य #सामाजिकअलगाव #नेत्रस्वास्थ्य #DainikBhaskar #RajasthanPatrika

No comments:

Post a Comment