Sunday, January 12, 2025
सेवा और समर्पण की मिसाल—चिकित्सकों द्वारा देहदान ने चिकित्सा शिक्षा में लाई क्रांति
आधुनिक युग में देहदान मानवता और सेवा की अद्वितीय मिसाल है। भारत जैसे देश में, जहां चिकित्सा शिक्षा के लिए कैडेवर की भारी कमी है, देहदान चिकित्सा क्षेत्र और समाज के लिए अनमोल योगदान है।
डॉ. शमशेर सिंह भंडारी, राजस्थान के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ, ने अपने जीवन में अनगिनत नेत्रहीनों को दृष्टि प्रदान की और मरीजों की सेवा की। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उनका पार्थिव शरीर जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी को और नेत्र राजस्थान नेत्र बैंक को दान किए गए। प्रोफेसर (डॉ.) हरि वल्लभ नेमा ने भी अपने पार्थिव शरीर को चिकित्सा शिक्षा के लिए दान कर समाज में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
इसी तरह, डॉ. रामेश्वर प्रसाद शर्मा और कोटा की डॉ. शकुंतला भटनागर ने अपने शरीर का दान कर नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत प्रस्तुत किया। इन चिकित्सकों ने महर्षि दधीचि की परंपरा का अनुसरण करते हुए मानवता के प्रति निस्वार्थ भावना का प्रतीक पेश किया।
भारत में हर वर्ष लाखों मेडिकल विद्यार्थी कैडेवर की कमी से जूझते हैं। देहदान से न केवल इस कमी को पूरा किया जा सकता है, बल्कि यह समाज में सेवा और मानवता का संदेश भी देता है।
डॉ. शमशेर सिंह भंडारी, प्रोफेसर डॉ. हरि वल्लभ नेमा, डॉ. रामेश्वर प्रसाद शर्मा और डॉ. शकुंतला भटनागर का यह कदम हमें प्रेरित करता है कि जीवन और मृत्यु दोनों को मानवता की सेवा में लगाया जाए।
दैनिक भास्कर द्वारा इस प्रेरणास्पद आलेख के प्रकाशन हेतु हार्दिक धन्यवाद.
डॉ. सुरेश पाण्डेय
डॉ. विदुषी शर्मा
सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा
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